The Fact About bhairav kavach That No One Is Suggesting
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श्रृंगी सलिलवज्रेषु ज्वरादिव्याधि यह्निषु ।।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारांस्तु लाकिनी सुतः।।
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।
पातु साकलको भ्रातॄन् श्रियं मे सततं गिरः
चाग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरव: । ।
श्रृंगी सलिलवज्रेषु ज्वरादिव्याधि यह्निषु ।।
इसका जप कवच से पहले और बाद में ११ या २१ बार करें ॥
केन सिद्धिं ददात्याशु काली त्रैलोक्यमोहन ॥ १॥
कथयामि श्रृणु प्राज्ञ बटुककवचं शुभम् ॥ ३॥
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः
बटुक भैरव कवच का व्याख्यान स्वयं महादेव check here ने किया है। जो इस बटुक भैरव कवच का अभ्यास करता है, वह सभी भौतिक सुखों को प्राप्त करता है।
कुरुद्वयं महेशानि मोहने परिकीर्तितम् ॥ ८॥